- उहापोह की स्थिति में है नाथ
- भोपाल के नेताओं का भी दबाव बढा
- आलाकमान दिल्ली के लिए मना रहा
भोपाल: राष्ट्रीय कांग्रेस में अपना विशेष स्थान रखने वाले नेता कमलनाथ पर इन दिनों कांग्रेस कार्यकर्ताओं की निगाहें है। दरअसल हर दिन ये खबरें आ रही है कि कभी भी कमलनाथ को कांग्रेस केंद्र में बडा दायित्व सौंप सकती है, लेकिन कमलनाथ इसका खंडन करते रहे है। सूत्रों की मानें तो प्रदेश के बडे नेताओं ने उन्हें प्रदेश में ही रहने की सलाह दी है। इसका कारण यह बताया जा रहा है कि यदि वे केंद्र में गए तो प्रदेश कांग्रेस में रिक्तता आ जाएगी। वर्तमान में ऐसा कोई नेता नहीं है जो सर्वमान्य और बेहतर हो। ऐसे में प्रदेश के कांग्रेस कार्यकर्ता लगातार कमलनाथ से संपर्क कर उनपर प्रदेश से बाहर न जाने का दबाव बना रहे है। हाल ही में कमलनाथ ने जिस तरह से बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी से मुलाकात की उससे एक बार फिर इस चर्चा को बल मिलने लगा कि कहीं कमलनाथ को सोनिया गांधी राष्ट्रीय कांग्रेस में बडा पद न दें दे। कहा यह भी जा रहा है कि पंजाब का मसला हल करने में कमलनाथ ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। कमलनाथ भी विपक्षी दलों के नेताओं से लगातार संपर्क में बने हुए है। यही एक बडी वजह है कि वे इन दिनों भोपाल में कम और दिल्ली में ज्यादा रह रहे है। सूत्रों की मानें तो दिल्ली में कांग्रेस की बिगडी राजनीति को दुरुस्त करने सोनिया गांधी उनका उपयोग करना चाहती है। बहरहाल कमलनाथ का रुख किस ओर होगा अभी साफ नहीं है लेकिन ये तय है कि यदि उन्होने केंद्र का रुख किया तो भोपाल की कांग्रेस में राजनीति नई करवट लेगी और भाजपा नेता सहज महसूस करेंगे।
- समन्वय बनाने की मिल सकती है जवाबदारी
सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस का आलाकमान चाहता है कि कमलनाथ केंद्र में आकर सभी दलों से समन्वय का काम करें। दरअसल आगामी चुनाव में कांग्रेस को सत्ता विरोधी दलों को साथ लेने की आवश्यकता पड रही है। हाल ही में शरद पवार के यहां हुई बैठक में कांग्रेस की गैरमौजूदगी से कांग्रेस आलाकमान सकते में था, इसके बाद से यह प्रयास किए जा रहे थे, कांग्रेस पहले की तरह एक बार फिर प्रमुख विपक्षी दल के तौर पर सामने आए। यही वजह है कि इसका दायित्व कमलनाथ को सौंपने का मन बनाया जा रहा है। कमलनाथ के संबंध न केवल मायावती से बल्की अखिलेश यादव और ममता बैनर्जी, शरद पवार से भी बेहतर है। बहरहाल कमलनाथ केंद्र में जाएंगे या फिर भोपाल में ही रहेंगे यह आने वाले समय साफ होगा। फिलहाल निर्णय कमलनाथ पर ही छोडा गया है।