अरुण को दिग्विजय की शाबासी के मायने क्या? कहीं टूल तो नहीं बन रहे अरुण

  • किसकी शह पर प्रदेश नेतृत्व से भिड रहे यादव?
  • पार्टी के दूसरे नेता भी हैरान परेशान
  • अनुशासन को लेकर गंभीर नहीं पार्टी आलाकमान
  • भोपाल: अरुण यादव पिछले कुछ समय से पार्टी अध्यक्ष को लेकर बगावती तेवर दिखा रहे है। पार्टी के दूसरे नेता भी इसको महसूस कर रहे है। बैठकों में अनुपस्थिति और लगातार विरोध में बयानबाजी से साफ है कि अरुण यादव का रवैया कुछ बदला बदला सा है। ऐसा क्यों है और इसके पीछे का राज क्या है? इसपर कुछ बडे नेता चिंता कर रहे है। आज अरुण यादव के भाजपा के संपर्क में होने की खबरें क्या मिली, राजनीति में भूचाल आ गया। आनन फानन में अरुण यादव ने ट्वीट कर इस खबर का खंडन किया। इस खंडन के तत्काल बाद दिग्विजय सिंह ने भी ट्वीट कर अरुण यादव को शाबासी दे डाली। अब राजनीतिक हलकों में इस शाबासी के अलग अलग मायने निकाले जा रहे है। सूत्रों का कहना है कि इस ट्वीट ने यह साफ कर दिया है कि कांग्रेस की राजनीति में आखिर चल क्या रहा है। सूत्र बताते है कि अरुण यादव खुलकर जो कुछ कर रहे है उससे साफ होता है कि किसी न किसी नेता का वरदहस्त यादव पर है। ये नेता कौन है समझने वाली बात है। उधर पार्टी के दूसरे नेता भी अरुण यादव को लेकर ये कहते नजर आए कि बैठक में उनकी अनुपस्थिति खेती में व्यस्तता की वजह से हो सकती है। इन तमाम बातों से साफ है कि कांग्रेस में अरुण यादव खंडवा लोकसभा सीट को लेकर किसी बडे नेता के इशारे पर प्रदेश के बडे नेताओं से सीधे भिडने की तैयारी में है।
  • खंडवा लोकसभा को लेकर चल रही लडाई
  • सूत्र बतातें है कि कांग्रेस के नेता अरुण यादव ने पहले ही उम्मीद थी कि उन्हें खंडवा लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया जा सकता है। यही वजह है कि वे क्षेत्र के लोगों से संपर्क भी कर रहे थे। उधर प्रदेश आलाकमान ने साफ कर दिया कि सर्वे में जो नाम उभरकर आएगा उसी को प्रत्याशी बनाया जाएगा। बस इसी बात को लेकर अरुण की नाराजी नजर आने लगी। इतना ही नहीं उन्हें मिले वरदहस्त से वे और उत्साहित हो गए और सीधे बडे नेताओं से भिडने की तैयारी करने लगे। बहरहाल कांग्रेस में चल रहे इस घमासान ने साफ कर दिया कि कुछ बडे नेता अनुशासन से कहीं ज्यादा महत्व खुद की नेतागिरी को दे रहे है।