साहब के लिए जान लुटाने की बात कहने वाले भैया की खामोशी पर उठने लगे सवाल, कहीं दोस्ती ज्यादा वजनदार तो नहीं

छिंदवाडा: कभी साहब पर आंच आ जाए तो अचानक सामने आकर आक्रामक हो जाने वाले भैया इन दिनों बेहद नरम और खामोश नजर आ रहे है। साहब पर एक के बाद एक विपक्षी दल जमकर हमला कर रहे है लेकिन भैया को इससे कोई फर्क पडे ऐसा मैदान में अभी तक नजर नहीं आया है। ऐसा क्यों हो रहा है, ये सवाल इन दिनों राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। सूत्रों का कहना है कि भैया को कुछ समय से गुस्सा आना लगभग बंद हो गया है, ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि वे साहब से कहीं अधिक तबज्जो अपनी दोस्ती को दे रहे है, दोस्ती किससे है ये समझने की बात है। सूत्र बतातें है कि भैया की इस खामोशी से इस राजनीतिक दल के कार्यकर्ता भी परेशान है, हालांकि विपक्षी दलों में इसको लेकर चर्चाएं चलने लगी है। विरोधी कहने लगे है कि सब कुछ तय है फिर बैर भाव कैसा, मतलब साहब के विरोधियों को लेकर भैया की आक्रामकता शायद ही कहीं देखने को मिले।

  • पावर का इंतजार

सूत्रों का कहना है कि आने वाले समय में भैया को सरकार बनने का इंतजार है ताकि वे पावर में आ सके। इसके बाद ही वे आक्रामक होने की स्थिति में रहेंगे। हालांकि ये अभी दूर की कौडी है लेकिन ऐसे माहौल में भैया की नरमी और खत्म होती आक्रामकता इस बात की ओर इशारा कर रही है कि कहीं न कहीं कुछ चल रहा है।