छिंदवाडा: देहात थाने के ठीक पास जमीन पर कब्जे का खेल काफी समय से चल रहा है। हर बार पुलिस काउंटर केस दर्ज कर लेती है। हैरानी की विषय ये है कि जमीन पर कब्जाधारी बुजुर्ग और उसके बेटों को भी पुलिस निशाना बना लेती है। ऐसा क्यों हो रहा समझ से परे है। कुछ इसे देहात पुलिस की रुचि से जोडकर देख रहे है तो कुछ मामले में राजनीतिक हस्तक्षेप का मामला बता रहे है। कुछ भी हो पुलिस निशाने पर है। मामला थाने के ठीक बाजू की जमीन का है। अक्सर इस जमीन पर कब्जा करने वाले पहुंच जाते है और पुलिस सब कुछ मूक दर्शक बने देखती रहती है। इस बार भी ऐसा ही हुआ। सब कुछ तय नजर आया। कब्जा लेने वाले पहुंचते है और पहले जैसा हंगामा होता है। पुलिस को आवाजें नहीं आती। यानी आप समझ गए होंगे कि पुलिस किस तरह से काम कर रही है। जब उसके थाने के पास हंगामे की आवाज वह नहीं सुन पा रही है तो इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अपराधों पर कैसे अंकुश लगा पाएगी। यानी यदि आप देहात थाने की जद मे आते है और थाने से आपकी दूरी ज्यादा है, ऐसे हालात में आपके साथ कुछ घटित हो जाए तो पुलिस कब पहुंचेगी आप स्वयं अनुमान लगा सकते है। हालांकि एसपी ने मामले में फटकारा है लेकिन इसका असर कितना हुआ ये तब समझ आया जब पिटने वाले पर भी प्रकरण बना दिया गया। सूत्रों का कहना है कि देहात थाने के पुलिस अधिकारी जमीन को लेकर इन दिनों खासी रुचि दिखा रहे है। अधिकांश जमीनों के मामले देहात में ही हो रहे है। ऐसे में देहात थाना मूल काम को भूलकर जमीन के मसले को हल करवाने में लगा है। यहां एक बात और जो सामने आ रही है न्यायालय में विचाराधीन प्रकरणों में भी कब्जा करने वालों पर जिस तरह से पुलिस मेहरबानी कर रही है उसने काफी कुछ साफ का दिया है।
- प्रभारी मंत्री और मुख्यमंत्री के पास पहुंचा मामला
न्यायालय में विचाराधीन होने के बावजूद कब्जा करने वालों पर सख्त कार्रवाई न कर पाने की शिकायत जिले के प्रभारी मंत्री राकेश सिंह के पास पहुंची है। इसके अलावा सांसद विवेक बंटी साहू ने भी इसे संज्ञान में लिया है। बताया जा रहा है कि इसकी शिकायत सीएम को भी की गई है। उधर विवादित जमीन को लेकर जिस तरह से पुलिस काम कर रही है पूरी जानकारी भोपाल में मांगी गई है। जानकारी के दस्तावेज भी पहुंचाए गए है। बहरहाल देहात पुलिस जिस तरह से काम कर रही है, उसने साफ कर दिया है कि वहां के थानेदार जमीनों को लेकर बेहद लापरवाह रवैया अपना रहे है, ऐसे में यदि कोई बडा हादसा हो जाए ताे पुलिस की इस कार्यशैली को जिम्मेदार ठहराना गलत नहीं होगा।