कहीं अपने झंडे का रंग ही न बदल लेना नेताजी, वोट बैंक के चक्कर में बदले बदले नजर आने लगे राजनेता

  • पीले गमछे को पहनाने की होड
  • दोनों पार्टी वोटबैंक को रिझाने में लगी
  • आयोजनों में नजर आए नेताजी

छिंदवाडा: जिले में इन दिनों कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों के नेता गोंडवाना के लोगों को रिझाने का पूरा प्रयास कर रहे है। पिछले दिनों इसका नजारा देखने को भी मिला। आदिवासी दिवस पर दोनों ही दलों के नेताओं ने इनके आयोजनों में शिरकत की और पूरा प्रयास किया कि आदिवासियों से मेल जोल बढाया जा सकें। हैरानी वाली बात यह रही कि इस बार बाकायदा दोनों ही दलों के नेताओं ने आदिवासियों को पीले गमछे भी बांटे। ऐसे में साफ है कि आदिवासी वोट बैंक पर सभी की नजरें जमी हुई है। कुछ समय से यह सिलसिला चल भी रहा है। सूत्र बतातें है कि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के आदिवासियों पर एकाधिकार को खत्म करने के लिए दोनों ही दल यह प्रयास कर रहे है कि किसी तरह से इसमें सेंध लगाई जाए। वैसे लंबे समय से ये वोट बैंक कांग्रेस का ही माना जाता रहा है, अब इसपर भाजपा की भी नजर है। यही वजह है कि दोनों दलों के नेताओं में से कोई भी इस मौके को गंवाना नहीं चाहता। इसकी बानगी आदिवाासी दिवस पर नजर भी आई। इन सबके बीच एक चर्चा जो आम रही वह ये की नेताजी कहीं पीले गमछे बांटते बांटते खुद का गमछा भी पीला न कर लें।

  • गोंडवाना बोली, जागरुकता आएगी तो हमारा फायदा

उधर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी इस बात से खुश है कि हमारे समाज को और ज्यादा जागरुक करने का प्रयास दोनों दल कर रहे है। वे यदि जागरुक हो गए तो इसमें समाज और हमारी पार्टी का फायदा होगा। गोंडवाना के लोगों का कहना है कि सामाजिक तौर पर आदिवासी अलग नहीं जा सकता। दोनों दल चाहे कितनी भी कोशिश कर ले। पीला गमछा हमारी पहचान है और रहेगा। इस पूरे मामले में देखने वाली बात यह होगी की आने वाले समय में गोंडवाना के लोग किस ओर रुख करेंगे।