भाजपा के लिए कमलनाथ कठिन क्यों? बार बार आजमाईश के बावजूद जीत दर्ज नहीं करवा पाए विरोधी, सीधे संवाद ने बनाया नाथ को मजबूत

छिंदवाडा: भाजपा विधानसभा चुनाव के चलते पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को घेरने की तैयारी में है, कार्ययोजना तैयार की जा रही है, भोपाल से लेकर दिल्ली तक भाजपा के नेता और संगठन के पदाधिकारी लगातार यहां शिरकत कर रहे है, भाजपा नेताओ को पिछले चुनाव में जीत हार के अंतर को लेकर ये संभावना नजर आ रही है कि थोडी और मेहनत हो जाए तो पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को पराजित किया जा सकता है। लेकिन ये सब कितना आसान होगा, इसको लेकर अभी कयास लगाए जा रहे है, स्वयं कांग्रेस के कुछ नेता इसपर मंथन करने में लगे है, भाजपा के लिए क्यों कठिन है कमलनाथ, इसपर हमारी ये रिपोर्ट।

  • लोगों से सीधे जुडे है नाथ

पिछले चालीस सालों का रिकार्ड देखें तो एक बार सुंदरलाल पटवा से पराजय के बाद नाथ ने कभी पराजय का मुंह नहीं देखा। जानकारों की माने तो कमलनाथ छिंदवाडा के लोगों से सीधे जुडे हुए है, चालीस सालों में उनसे लगभग 80 प्रतिशत परिवार ऐसे है जिन्हें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर मदद मिली है, बताते है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में कमलनाथ जिस तरह से लोगों की मदद करते है वह लोकप्रियता का सबसे बडा आधार है। इतना ही नहीं अपने संबंधो के आधार पर उन्होने बडी संख्या में युवाओं को रोजगार भी दिलाया है, क्रम अभी भी जारी है। ये एक बडी वजह है कि कमलनाथ लोगों के बीच अपना स्थान बना चुके है। भाजपा के नेता भी दबी जुबान से ये स्वीकार करते है, ऐसा नहीं है कि भाजपा ने पहले कभी उन्हें पराजित करने के भरसक प्रयास न किए हो, लेकिन कामयाबी उनके हाथ नहीं आई। यही वजह है कि कमलनाथ हमेशा से छिंदवाडा में अपनी जीत को लेकर आश्वस्त रहते है।

  • पिछले चुनाव में मार्जिन कम क्यों

ये सवाल उठना लाजमी तब हो जाता है जब पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की लोकप्रियता की बात होती है, विरोधी ये भी सवाल उठाते रहे हे कि यदि लोकप्रियता इतनी है तो फिर जीत का मर्जिन कम क्यों हुआ? इसको लेकर जब हमने पडताल की तो पता चला कि कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद स्थानीय स्तर पर नेताओं द्वारा की जा रही मनमानी सामने आने लगी थी, नाथ ने जिन नेताओं पर जिले की जवाबदारी सौंपी थी वे लापरवाह हो गए और लोगों की उपेक्षा होने लगी, इससे खफा होकर लोगों ने चुनाव में या तो मतदान नहीं किया या फिर किसी अन्य दल पर मुहर लगा दी। जानकारों का कहना है कि अब हालात उलट है, मनमानी करने वाले नेता किनारे नजर आ रहे है, इस बात से लोग खुश है। ऐसे में भाजपा के लिए नाथ कठिन है कहना अतिश्याेक्ति नहीं कही जा सकती।

  • प्रह्रलाद पटेल भी कर चुके जोर आजमाईश

छिंदवाडा में भाजपा के कद्दावर नेता प्रहलाद पटेल ने भी पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के खिलाफ चुनाव लडा, उस वक्त जमकर शोर था, पटेल चुनाव निकाल लेंगे, भाजपा में कार्यकर्ताओं का हुजुम भी नजर आ रहा था, संसाधन पर्याप्त थे, चुनाव के दौरान कांग्रेस के नेता भी परेशान थे, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने साफ तौर पर कह दिया था कि परेशान होने की आवश्यकता नहीं। विवाद भी हुए, लेकिन अंत में नतीजों ने नाथ के विश्वास को सही साबित कर दिया। तभी से भाजपा के नेताओं का उत्साह कम हो गया, लेकिन एक बार फिर भाजपा जिले में पूरे जोरों से आजमाईश करने जा रही है और कमलनाथ का वहीं विश्वास फिर नजर आ रहा है।

  • विकास भी बडा मुद्दा

कांग्रेस के लिए छिंदवाडा में विकास बडा मुद्दा है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने छिंदवाडा में जो कुछ किया उसका असर लोगों पर नजर आता है। नाथ ने न केवल छिंदवाडा को स्किल सेंटर दिए बल्कि कई कॉल सेंटर भी दिए। इससे कई युवाओं को रोजगार मिल रहा है। नाथ ने छिंदवाडा की सडकों को भी मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री रहते प्राथमिकता दी। लोगों की मानें तो यदि कांग्रेस सरकार पांच साल रहती तो शायद छिंदवाडा का कायाकल्प हो जाता। हालांकि भाजपा इस मामले में इत्तेफाक नहीं रखती, भाजपा का कहना है कि ये सब उनके कार्यकाल मे हुआ है। बहरहाल छिंदवाडा में कमलनाथ की लोकप्रियता और लोगों से सीधे संवाद के चलते भाजपा के लिए जिला आसान नहीं नजर आता।