छिंदवाडा: महापौर के अपमान का मामला क्या उठा, कांग्रेस को एक बार फिर मैदान में आने का मौका मिल गया। कांग्रेस कूद पडी, पार्षद सभापति और तमाम नेताओं ने एकजुटता दिखा दी। शुरुआत में दिख रहे मतभेद समाप्त हो गए। दरअसल अफसरों ने कांग्रेस को मौका देकर उन्हें न केवल एकजुट कर दिया बल्कि शहर में नया मैसेज देने को उकसा भी दिया। सूत्रों की मानें तो आम जनमानस पर इसका अच्छा खासा प्रभाव पडा है। उधर कांग्रेस ने एक आदिवासी गरीब तबके के महापौर के साथ किए जा रहे व्यवहार को जमकर भुनाने का मन बना लिया हे। आदिवासी क्षेत्रों में इस बात को प्रचारित भी किया जा रहा है। ऐसे में भाजपा के लिए परेशानी का सबब ये मुद्दा बन सकता है। बताया जा रहा है कि इस पूरे घटनाक्रम के बाद आदिवासी क्षेत्रों के नेताओं ने अपनी सक्रियता बढा दी है। विधानसभा चुनाव की नजदीकी के साथ इस तरह का मुद्दा कांग्रेस के हाथ लगते ही नेताओं ने नई रणनीति तैयार करना शुरु कर दिया है।

  • बढ सकता है आदिवासी वोट बैंक

जानकारों का कहना है कि कुछ समय से ये कयास तेज थे कि कांग्रेस का आदिवासी वोट बैंक खिसक रहा है लेकिन जिस तरह से निगम महापौर के साथ व्यवहार किया गया उससे ये अनुमान लगाया जा रहा है कि एक बार फिर कांग्रेस को घटना वोट बैंक वापस हो सकता है, इतना ही नहीं उसमे इजाफा भी हो सकता है। इतना ही नहीं शहर में भी कांग्रेस को इस घटनाक्रम की सहानुभूति मिल सकती है।