छिंदवाडा: इन दिनों भ्भाजपा के एक भाऊ का बर्थडे चर्चाओं में है, हालांकि अभी हुआ नहीं है लेकिन होने से पहले ही इस बर्थडे ने खासी चर्चाएं बटोर ली है। ये बर्थडे इसलिए भी चर्चा का विषय है क्योंकि भाऊ इस बार खुली चुनौती देते नजर आ रहे है। भाऊ के समर्थकों ने इस बार जिस तरह से कार्ड बांटे है उससे साफ है कि नया समीकरण एक बार फिर नेताजी को परेशान करेगा। बताया तो ये भी जा रहा है कि भाऊ के बर्थडे को अपरोक्ष रुप से पार्टी के ही एक अन्य धडे का खुला समर्थन है और बर्थडे की पार्टी में हजारों की संख्या में कार्यकर्ताओं को बुलाया जा रहा है। उधर इसे शक्ति प्रदर्शन से जोडकर भी देखा जा रहा है। अंदरखाने की बातों पर गौर करें तो कुछ समय से भाऊ और नेताजी के बीच अनबन चल रही थी, समझौते के प्रयास हुए लेकिन कुछ ही समय में दोनों अलग अलग हो गए। हालात ये है कि अब भाऊ नेताजी की तस्वीरें भी अपने किसी कार्ड में छपवाना पसंद नहीं करते। इन हालातों में एक बार फिर पार्टी की चिंता बढ गई है। जानकारों की मानें तो जिस तरह से पार्टी में गुटबाजी तेजी से सामने आ रही है उसपर पार्टी आलाकमान की नजरें है।हालांकि ये कोई पहली बार नहीं है इसके पहले भी ऐसे कुछ मामले सामने आ चुके है।
- हम थे जिनके सहारे
इस पूरे मामले में एक बात जरुर देखने को मिल रही है कि कुछ नेता जो पहले कभी भाऊ के खासमखास हुआ करते थे अब उनके साथ नहीं है। वे नेताजी के साथ नजर आ रहे है, इस बात का मलाल भाऊ को है, लेकिन वे आने वाले समय में बनने वाली परिस्थितियों पर नजर जमाएं बैठे है। इस तरह के लोगों की संख्या ज्यादा है। इन परिस्थितियों में ये कहना गलत नहीं होगा कि हम थे जिनके सहारे, वो हुए न हमारें।
- पंडितजी भी परेशान
हालात सिर्फ यही नहीं है, भाजपा के एक पंडितजी भी अपने ही साथियों की नाराजी झेल रहे है। दरअसल पंडितजी को पद तो मिल गया लेकिन साथियों का साथ नहीं मिल पा रहा है। यही वजह है कि ये साथी बिना उन्हें विश्वास में लिए तमाम योजनाओं को मूर्त रुप दे रहे है। जानकारों का कहना है कि साथी नेताजी से नाराज है और नेताजी पंडितजी पर मेहरबान ऐसे में साथियों की नाराजी सामने आ रही है। बहरहाल इस मामले में समन्वय बनाने के प्रयास हो रहे है लेकिन बनेगा या नहीं अभी कहना मुश्किल है।