भोपाल: प्रदेश सरकार के मंत्री नागर सिंह चौहान के सपत्निक इस्तीफे की चेतावनी के बाद कांग्रेस से भाजपा में आए बडे नेताओं के सपनों पर ग्रहण लग सकता है। हालांकि नागर सिंह चौहान को संगठन के नेताओं ने दिल्ली तलब किया है, लेकिन उनके तेवर अभी भी नरम नहीं हुए है। उनकी पत्नी सांसद अनिता चौहान ने भी साफ कर दिया है कि वे भी राज्य सरकार के निर्णय से दुखी है। दरअसल हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में आए राम निवास रावत को केबिनेट मंत्री का दर्जा देकर उन्हें वन एवं पर्यावरण विभाग दे दिया गया। ये विभाग इसके पहले नागर सिंह चौहान के पास था। वे इस बात से बेहद दुखी और आहत नजर आए। उनके इस तेवरों ने भाजपा खेमे में हलचल मचाकर रख दी है। दरअसल वे पहले ही इस बात पर नाराजी जता चुके है कि भाजपा में पुराने नेताओं को तबज्जों मिलना बंद हो गई है। इस पूरे घटनाक्रम का सीधा असर अब उन कांग्रेस नेताओं पर पडता नजर आ रहा है जो कद्दावर है और किसी न किसी पद के आश्वासन के बाद भाजपा में आए है। इनमें कांग्रेस के सुरेश पचौरी और दीपक सक्सेना के नाम प्रमुख है। ये नेता भले ही निस्वार्थ भाव से भाजपा में आने की बात कह रहे हो लेकिन सूत्रों का कहना है कि भाजपा इन्हें नवाजना चाहती है।
- गोपाल भार्गव खेमा भी खफा
उधर पूर्व में मंत्री रहे गोपाल भार्गव और उनके समर्थकों ने भी इस बात से जमकर नाराजगी जता दी है। उन्होने तो ये तक बता दिया कि वे कितने दिनों से विधायक रह चुके है। वे प्रदेश सरकार में अपनी भागीदारी नहीं होने से खफा है। उन्होने अपनी मंशा भी प्रदेश सरकार के कद्दावर नेताओं को बता दी है। हालात ये है कि लगातार सामने आ रही विरोध की परिस्थितियों को देखते हुए दीपक सक्सेना और सुरेश पचौरी को लेकर भाजपा अभी कुछ कहने के मूड में नहीं है। उधर अमरवाडा से कमलेश शाह का पेंच भी इस मामले में फस गया है। ऐसे में छिंदवाडा की भाजपा की राजनीति आगे क्या रंग लाएगी आने वाले समय में साफ हो जाएगा। बताया ये भी जा रहा है कि आगामी दिनों में होने वाले संगठन चुनाव में भी काफी कुछ सामने आ जाएगा।
- दिग्गजों के पास कोई विकल्प नहीं
जो दिग्गज कांग्रेस छोडकर भाजपा में आए है अब उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है। वे केवल इंतजार ही कर सकते है। खबर है कि इस मामले में सुरेश पचौरी बेहद खामोश बने हुए है। उधर दीपक सक्सेना भी अगस्त और सितंबर के माह में कुछ होने के इंतजार में है। राजा कमलेश शाह भी चुनाव जीतने के बाद आस लगाए बैठे है कि कभी तो रास्ता खुलेगा।सूत्राें ने बताया कि कांग्रेस से भाजपा में आए इन दिग्गजों का फैसला दिल्ली से होना है, दिल्ली अभी किसी तरह की रिस्क लेने की स्थिति में नजर नहीं आता। फिलहाल राजनीति के दांव पेंच में फसे ये दिग्गज समय पर पूरा दारोमदार डालकर इंतजार करने में लगे हुए है।