छिंदवाडा: इन दिनों राजनीति में तीन अ की खासी चर्चा है। ये तीनों अ भाजपा के लिए परेशानी का सबब बन सकते है। जानकारों का मानना है कि यदि कांग्रेस ने इन तीनों अ पर तरीके से काम किया तो आने वाले समय में बेहतर नतीजे सामने आने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। अब आप सोच रहें होंगे की आखिर ये तीन अ है क्या? तीन अ का मतलब है आदिवासी, अल्पसंख्यक और अन्य पिछडा वर्ग। एक एक करके यदि इन तीनों का विश्लेषण करें तो संक्षेप में कहा जा सकता है कि सिवनी की घटना से आदिवासी वर्ग सरकारी तंत्र से नाराज है और अल्पसंख्यकों का रुझान भाजपा की ओर कम ही नजर आता है, रहा सवाल ओबीसी का तो आरक्षण समाप्त होने पर ओबीसी वर्ग में संशय का माहौल है। वे फिलहाल किस ओर जाऐंगे ये साफ नहीं है। ऐसे में यदि कांग्रेस ने रणनीति बनाकर जोर आजमाईश की तो ये तीन अ भाजपा के लिए मुसीबत खडी कर सकते है। राजनीति के जानकार बताते है कि अभी तक कांग्रेस ने इन तीनों अ पर जिस तरह से काम करना चाहिए वैसा नहीं किया है। भाजपा भी इनपर नजरें जमाए बैठी है। राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि भाजपा के नेता इस मामले को लेकर बैठकें कर रहे है। भाजपा के नेताओं में भी इन वर्गों की नाराजी का खौफ नजर आने लगा है। सूत्र बतातें है कि भाजपा के शीर्ष स्तर के नेता इस मसले पर स्थानीय नेताओं से लगातार संपर्क में है और मामले में नाराज वर्ग की नाराजी को किस तरह दूर किया जाए इसपर विचार विमर्श कर रहे है। बहरहाल इस चुनाव में कांग्रेस और भाजपा का मुख्य फोकस तीनों अ पर होना तय माना जा रहा है। दोनों पार्टीयों में से इन तीनों अ पर कौन अपनी पैठ बनाएगा आने वाले समय में ही तय होगा।