छिंदवाडा: बचपन में गरीबी से जूझ रहा युवक कभी टेंट हाउस में लोगों की जूठी प्लेट उठाकर पेट भरता था तो कभी किसी के यहां काम करके। उसे नहीं पता था कि कभी उसकी किस्मत करवट बदलेगी और वह एक दिन ऐसे पद पर आसीन हो जाएगा जिसकी कल्पना भी उसके लिए बडा सपना था। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और सांसद नकुलनाथ की पारखी नजर जब इस हीरे पर पडी तो वे समझ गए कि यह बेहद किमती है। हुआ भी ऐसा ही। धीरे धीरे नाथ ने उसे तराशना शुरु किया, पहले राजनीति में प्रवेश करवाकर युवा नेता की जिम्मेदारी सौँपी उसे सौपी। इस हीरे का नाम है विक्रम आहके। जिन्हें हाल ही में छिंदवाडा के लोगों ने महापौर के लिए विजेता का ताज पहनाया है। युवा नेता के तौर पर इस जिम्मेदारी को जब विक्रम ने बखूबी निभाया तो नाथ समझ गए कि अब इसे ज्यादा तराशने की आवश्यकता नहीं। बाद में उसे हर्रई के बटकाखापा की जवाबदारी दी गई। इस जवाबदारी में भी उसने नाथ को निराश नहीं किया। नाथ का बढता विश्वास और विक्रम की सादगी भरी कार्यशैली से साफ था कि अब वह किसी बडे पद के काबिल हो चुके है। नाथ ने निगम चुनाव में एक पल की भी देरी नहीं की और उसे महापौर का प्रत्याशी बना डाला। नाथ के इस निर्णय से नेता हैरत में थे, विपक्षी दल के लोग इसे वाकओवर के तौर पर देखने लगे थे, लेकिन विक्रम इन सबसे दूर अपने अभियान और नाथ के विश्वास पर खरा उतरने निकल पडे। धीरे धीरे स्थितियाे ने करवट बदली और माहौल में उनका नाम सकारात्मक तौर पर सामने आने लगा। मतदान तक विक्रम लोकप्रियता में आगे निकल चुके थे। बाद में मतगणना ने उन्हें ताज पहना दिया। अब विक्रम की सदगी के चर्चे लोगों के बीच बने हुए है। इतना ही नहीं नाथ की पारखी नजरों की भी चर्चा देश प्रदेश में हो रही है। यह पहला जिला है जहां पर युवा और गरीब तबके आदिवासी को प्रत्याशी बनाया गया है।