राजनीति में फंस गई एमआरआई मशीन, नाथ के दान पर सत्ता को आपत्ति, परेशान हो रहे गरीब मरीज, मजबूरी में बडी रकम देकर एमआरआई करवा रहे पीडित

छिंदवाडा: स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने का दावा अक्सर राजनीतिक दलों के नेता करते रहे है। दावों की सच्चाई पर सवाल भी खडे होते रहे है। ऐसा ही एक सवाल इन दिनों नेताओं के सामने मुंह बाएं खडा है लेकिन राजनीतिक लडाई के चलते कोई कुछ करने और कहने को तैयार नहीं, नतीजा ये है कि गरीब मरीज या तो नागपुर जा रहे है या फिर छिंदवाडा में ही बडी  रकम देकर जांच करवा रहे है। मामला एमआरआई मशीन का है, जिसे पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मेडिकल कॉलेज को दिया था, इसे देने का उद्देश्य ये बताया गया था कि गरीब मरीजों को परेशान नहीं होना पडेगा, इतना ही नहीं मरीजों को ज्यादा राशि भी नहीं देनी पडेगी। लेकिन मशीन सिर्फ इसलिए चालू नहीं हुई क्योंकि इसे पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दिया है और सत्ता भाजपा की है। बस यहीं मामला अटक गया है। अब मशीन धूल खा रही है। हालांकि पूर्व में सांसद नकुलनाथ ने इस मामले में मेडिकल कॉलेज के डीन से चर्चा की थी लेकिन कुछ नहीं हो सका। इस मामले में हमने जब भाजपा के एक जिम्मेदार नेताजी से चर्चा की तो उनका कहना था की इसके लिए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और सांसद नकुलनाथ से बात करनी पडेगी।

  • डीन को कोई लेना देना नहीं

एमआरआई करवाने बडा खर्च करके नागपुर जाने वाले गरीब मरीजों से मेडिकल कॉलेज के डीन को कोई लेना देना नहीं है। सूत्रों का कहना है कि इस मामलें छिंदवाडा में एम आर आई मशीन चला रहे एक संस्थान को अप्रत्यक्ष तौर पर उनका समर्थन मिल रहा है जिसके कारण सरकारी एमआरआई मशीन को चालू नहीं करवाया जा रहा है। बताया ये भी जा रहा है कि जो संस्थान यहां एमआरआई मशीन लेकर संचालन कर रहा है वह मशीन बेहद पुरानी है। लेकिन मजबूरी में मरीज यहां ज्यादा पैसा देकर एमआरआई करवा रहे है। ऐसे में गरीब मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने की बात कहने वाले राजनीतिक दलों के वादे और इरादे में क्या फर्क है आप समझ सकते है।

  • अपनी माताजी की याद में नाथ ने दी थी मशीन

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपनी मां की याद में ये मशीन मेडिकल कॉलेज को दान में दी थी। नाथ ने यह कहा था कि मशीन देने का उद्देश्य किसी गंभीर मरीज जिसे एमआरआई की जरुरत हो उसे बाहर न जाना पडे यह है। कुछ दिनों के लिए मशीन चालू भी की गई लेकिन धीरे धीरे इसे बंद कर दिया गया। अब करोडो की यह मशीन धूल खा रही है। यदि ज्यादा समय तक मशीन इस हालत में रही तो विशेषज्ञों का कहना है कि यह बेकार हो जाएगी।