छिंदवाडा: रेत के मामले में अब अफसर से लेकर नेताओं तक सभी कटघरे में है। खुलेआम हो रहे उत्खनन को लेकर हो रही दिखावे की कार्रवाई ने साबित कर दिया की कहीं कुछ तो है? सूत्रों का कहना है कि इस खेल में न केवल सत्ता पक्ष के बल्कि विपक्ष के चंद नेता भी लिप्त है। अफसर भी इसी चक्कर में खीर खा रहे है। अवैध उत्खनन की खबर आते ही यूं सक्रियता दिखाते है मानों अब सबसे बडी कार्रवाई होने वाली है लेकिन बाद में पता चलता है कि दिखावे की कार्रवाई कर अफसर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर देते है। अब मामला भोपाल पहुंचने लगा है। उत्खनन के चक्कर में सत्ता पक्ष को नुकसान होता नजर आने लगा है। इतना ही नहीं सौंसर और आस पास के लोग भी इसको लेकर बेहद नारा है, जो हो रहा है वे भी समझ रहे है। रेत के खेल में चांदी काटने वाले अफसर कल चले जाएंगे लेकिन नेताओं को इसका खामियाजा भुगतना पड सकता है। सूत्र बतातें है कि अफसरों ने रेत माफियाओं को अपरोक्ष रुप से अवैध खनन की अनुमति दे रखी है, नजर में आ गए तो दिखावे की कार्रवाई हो जाएगी और नहीं आए तो सबका भला? अब इसमें कितनी सच्चाई है ये बात आने वाले समय में सामने आएगी।
- विपक्षी की खामोशी क्यों?
इस मामले में बडा सवाल ये है कि इन दिनों रेत के अवैध उत्खनन को लेकर विपक्ष बेहद खामोश है। न तो कोई बयान आते है और न ही किसी तरह के सवाल खडे किए जाते है। जबकि मामला सत्ता पक्ष के खिलाफ जा सकता है। सूत्रों की मानें तो कुछ नेताओं से रेत माफियाओं के तगडे संबध है, और कुछ इसमें भागीदार बने हुए है। ऐसे में छलनी होती नदियां, पर्यावरण को पहुंचता नुकसान इससे किसी को कोई लेना देना नहीं। बहरहाल ये जो पब्लिक है ये सब जानती है?