छिंदवाडा: नामांकन वापसी के अंतिम दिन कांग्रेस और भाजपा के नेताओं की नजरें बागियों पर लगी रही। भाजपा और कांग्रेस के बडे नेता लगातार इन बागियों से संपर्क में लगे रहे। कुछ ने नाम वापस लिया तो कुछ डटे हुए है। भाजपा के तो तीस बागी वार्डों में चुनाव लड रहे है, इसके अलावा एक महापौर जितेंद्र शाह भी मैदान में है। ऐसे में भाजपा की मुश्किले थमने का नाम ही नहीं ले रही। सूत्रों का कहना है कि भाजपा के प्रत्याशियों और महापौर को निपटाने के लिए इन बागियों द्वारा रणनीति तैयार कर ली गई है और इसके तहत काम शुरु कर दिया गया है। इसका केंद्र कहां पर है ये पता लगाने के प्रयास भाजपा संगठन के नेता कर रहे है। खबर ये भी है कि भाजपा के प्रदेश स्तर के नेता जल्दी ही यहां पहुंचेंगे और बागियों से संपर्क करेंगे लेकिन जिस तरह के तेवर इन बागियों ने दिखाए है उससे तय है कि वे मानने को तैयार नहीं है।
- पहली बार इतनी बडी बगावत
भाजपा में निगम चुनाव में पहली बार इतनी बडी बगावत देखने को मिल रही है। इसकी वजह प्रत्याशी चयन बताया जा रहा है। भाजपा के एक नेता ने तो कलेक्टर कार्यालय में बाकायदा अध्यक्ष को आडे हाथों लेते हुए कहा कि मनमानी और पूर्व के आश्वसनों ने इस तरह के हालात बना दिए और अब इनसे निपटना मुश्किल होगा। भाजपा के प्रदेश स्तर के नेताओं को भी इससे अवगत करवा दिया गया है।
- कांग्रेस का एक खेमा गायब
भाजपा में बगावत ने जहां कांग्रेस के हालात बेहतर बना दिए है वहीं कांग्रेस का एक खेमा प्रचार से दूरी बनाए हुए है। सूत्रों के अनुसार इस खेमे ने महापौर के लिए टिकिट मांगी थी लेकिन उन्हें प्रत्याशी नहीं बनाए जाने से उनकी नाराजी है। बताया जा रहा है कि इस खेमे के कुछ नेता बेमन से मैदान में है। हालांकि आलाकमान इसपर पूरी नजरें रखे हुए है। सूत्र बतातें है कि इस पूरे मामले की रिपोर्ट भी भोपाल में मंगवाई गई है।
- पर्दे के पी्छे कौन?
कांग्रेस और भाजपा में एक बात की चर्चा आम है कि पूरी राजनीति में पर्दे के पीछे कौन है? कांग्रेस में कुछ स्थानों पर बगावत नजर आ रही है, महापौर को लेकर भी जिस तरह के हालात बने उसको लेकर ये पता लगाया जा रहा है कि आखिर बगावत करने वालों को कौन हवा दे रहा है। यही स्थिति भाजपा में भी है। भाजपा के नेता भी इस बात से परेशान है कि इतनी बडी संख्या में हुई बगावत कैसे और क्यों हुई?