छिंदवाडा: भाजपा को निगम अध्यक्ष के मसले पर जो तगडा झटका लगा है उसने भोपाल तक को हिला दिया है। अब ये तय किया जा रहा है कि आखिर विभीषण कौन? कई अनुमान लगाए जा रहे है, गुप्त मतदान के कारण मसला टेढा नजर आ रहा है। भाजपा के नेता इसे दो धडों में पार्षदों के विभक्त होने को काफी हद तक जिम्मेदार ठहरा रहे है जबकि दलबदल वाले पार्षदों पर भी तलवार लटक रही है। कहा ये भी जा रहा है कि कांग्रेस के अध्यक्ष सोनू मागो के संबंध दल बदल वाले पार्षदों से बेहद खास रहे है, इसके साथ ही कुछ ऐसे नेता भी नहीं चाहते थे कि भाजपा के प्रबल दावेदार विजय पांडे अध्यक्ष बने। इनके बीच पुराना विवाद भी रहा है। ऐसे में इनपर भी शक की सुई घूम रही है। अब भाजपा का एक धडा इस बात की दुहाई देने से नहीं चूक रहा है कि करे कोई और भरे कोई। यानी अपनो से ज्यादा भरोसा कांग्रेस से आए पार्षदों पर हो रहा है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा के संगठन की ओर से आए श्री सबनानी अपने साथ पूरी रिपोर्ट लेकर भोपाल पहुंचे है। संभव है हालातों पर आज चर्चा हो। उधर सांसद विवेक बंटी साहू इस मामले में पूरी तरह दूर नजर आए। फिलहाल भाजपा का एक धडा यही कहते नजर आ रहा है कि अपनों पे करम गैरों पर सितम,,,,,
- रोहना की खामोशी का राज क्या
इस पूरे मामले में रोहना पूरी तरह खामोश रहा। खबर है कि भाजपा नेता दीपक सक्सेना ने अपने खास समर्थक पार्षदों से जरुर चर्चा की थी, लेकिन कोई विशेष दखलअंदाजी इस मामले में नहीं नजर आई। सूत्रों का कहना है कि भाजपा में प्रवेश के साथ ही उनकी भूमिका बेहद कम नजर आ रही है। ऐसे में उनके समर्थक भी निराशा के दौर से गुजर रहे है। संभव है कि इस बात का असर भी निगम के अध्यक्ष वाले चुनाव में दिखाई दिया हो। हालांकि मसले में रोहना से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। खबर ये भी है कि नतीजे आने के बाद रात में पार्षदों का एक समूह रोहना गया था, जहां पर श्री सक्सेना ने सभी को समझाइश दी, लेकिन अब बाजी हाथ से निकल गई है। देखना ये होगा कि आने वाले समय में निगम में कौन कितना सक्रिय होगा।